Thursday, August 6, 2020

HISTORY OF COMPUTER

 🖥 कंप्यूटर का इतिहास (History of computer) Students Addmission link

कंप्यूटर का एक संक्षिप्त इतिहास बहुत समय पहले से शुरू हुआ, कंप्यूटर वैज्ञानिक और शोधकर्ता आधुनिक कंप्यूटर का निर्माण करने के लिए गणना के कार्य को जितना आसान हो, उतना आसान करने के लिए कंप्यूटर का निर्माण किया था शुरुआती दिनों मैं लोगो को सामान को गिनने के लिए पथरो या लकड़ियों का सहारा लेना पड़ता था जिससे वे लोग सामान की खरीद फरोक्त कर सके

इसलिए उन्होंने गिनने के लिए पत्थरों या लकड़ी की छड़ें इस्तेमाल की और उनसे सामान खरीदने से पहले इसे सरल और आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किया। धीरे-धीरे उस युग की सामान्य आबादी ने माल की गिनती के उद्देश्य से रेत पर रेखा खींचने शुरू की, यह एक थकाऊ प्रक्रिया थी जब गिनती संख्या बढ़ी, बेचने और खरीद की जानकारी एकत्र करना बहुत मुश्किल था, इसलिए उन्होंने रोक दिया

The Invention of Abacus - अबेकस का अविष्कार

ऐबकस [ABACUS] की खोज और डिजाइन चीन द्वारा 3000 BC में आविष्कार किया गया था और बाद में इसे संशोधित और बदल दिया गया था। एबैकस [ABACUS] या एक गणित उपकरण 9 बार खड़ी और 1 ध्रुव क्षैतिज रूप से एक लकड़ी का फ्रेम था। प्रत्येक ध्रुव 7 मोती के आसपास होते हैं। बार 2 भागों में विभाजित किया गया था ऊपरी भाग में 2 मोती और निचले हिस्से में 5 मोती शामिल हैं । 2 मोती वाले ऊपरी भाग को 5 अंक के रूप में दर्शाया गया था, और 5 मोती वाले निचले हिस्से में एक इकाई या एकल इकाई थी।

उपयोगकर्ता मढ़ा को एक छोर से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए इस्तेमाल करते थे और इसका परिणाम केंद्र या लकड़ी के फ्रेम के फोकल बिंदु पर प्रदर्शित किया गया था। लोगों या व्यक्तियों को मोती और उनकी स्थिति का उपयोग करने के अतिरिक्त और घटाव जैसे कार्यों के लिए उपयोग किया जाता था अबैकस या गणित उपकरण एशिया के कुछ हिस्सों में अभी भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ताकि वे गणना कर सकें।

Blaise Pascal | Pascaline) ब्लेज़ पास्कल | पास्कलाइन

1962 में एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ने 19 वर्षों में मुख्य मैकेनिकल कंप्यूटिंग और "पास्कलिन" के नाम से जाने वाली मशीन की गणना की। मशीन में चेन्स से जुड़े कई दांत और पहियों थे। 2 मॉडल एक थे 6 पहियों और अन्य 8 पहियों थे जो लोग 6 पहिया मशीन खरीदने के लिए तैयार नहीं हो सकते क्योंकि वे वास्तव में महगे थे नंबर पहियों पर डायल करके मशीन में दर्ज किया गया था।

व्हील की पूर्ण मोड़ समाप्त हो जाने के बाद दूसरा पहिया बढ़ा दिया गया था। मशीन या डिवाइस को मूलतः जोड़ और गुणन के लिए उपयोग किया गया था। 1617 Ad Gottfried Leibniz ने ब्लेज़ पास्कल की मशीन में और अधिक महत्वपूर्ण सुधार किए। यह जर्मन शोधकर्ता एक मशीन को इकट्ठा करता है जो सभी चार परिचालन (जोड़, घटाव, गुणन, और प्रभाग) कर सकता है और इसे एक कदम रखा "Stepped Reckoner" के रूप में नामित किया। वह व्यक्ति थे जिन्होंने द्विआधारी संख्या प्रणाली के उपयोग का समर्थन किया जो वर्तमान में महत्वपूर्ण और मूलभूत है उन्नत [Advanced] आधुनिक कंप्यूटरों के

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[12:09:40 PM]:
Differential Engine | Charles Babbage

अंग्रेजी गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बबेज ने "Differential Engine" नामक मशीन का आविष्कार किया, बाद में बैबेज ने इसके अलावा स्वचालित कंप्यूटिंग तंत्र पर मशीन का आविष्कार किया और "Analytical Engine" नाम रखा।

विश्लेषणात्मक इंजन सूचना और डेटा को अपनी मेमोरी में संग्रहीत और स्टोर करने में सक्षम था यह आधुनिक-दिवसीय मशीन का महत्वपूर्ण और मौलिक विकास था जिसने चार्ल्स बबेज द्वारा प्रस्तावित आवश्यक और मूल सिद्धांतों का उपयोग किया। यह सभी कंप्यूटर पीढ़ी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति थी, आज के सभी आधुनिक कंप्यूटर आज एक समान विचार का उपयोग करते हैं। उनके विकास को कंप्यूटर के इतिहास में वास्तविक उपलब्धियों के रूप में माना जाता है। नतीजतन, उन्हें "FATHER OF COMPUTER" "कंप्यूटर के पिता " कहा जाता है और इस क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता एक सफलता और एक मील का पत्थर है।

[
12:15:14 PM]
818
:
ENIAC

अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ  (Electronic Numerical Integrator And Computer)  का निर्माण किया। "ENIAC"  दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें  "ENIAC"  सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई 

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[12:16:10 PM]:
मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948 

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने

:computer:O level computer course🖥:
कंप्यूटर के प्रकार (Types of computer)

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[2:47:56 PM]:computer:O level computer course🖥:
कंप्यूटर को दो प्रकार में बांटा गया है
1 काम के आधार पर .
2आकार के आधार पर
.

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[2:50:56 PM]:computer:O level computer course🖥:
कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)
कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया गया है इसमें
1- एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer), 2- डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer), 3- हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
इन तीनों की अपनी अपनी विशेषतायें हैं तो आइये जानते हैं क्‍या होता है डिजिटल, एनालॉग और हाइब्रिड कंप्यूटर, कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)

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[2:52:10 PM]:computer:O level computer course🖥:
एनालॉग कंप्यूटर क्या है (What is analog computer)

इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों दाब, तापमान, लंबाई, गति आदि को मापने में किया जाता है, चलिये थोडा और समझते हैं, बात करते हैं मौसम विज्ञान की आपको हवा का दबाब, वातावरण मेें नमी या बारिश कितनी हुई या आज का सबसे कम या सबसे ज्‍यादा तापमान कितना था इन सब के आंकडें इकठ्ठा करने के लिये एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) बनाये गये हैं वर्षामापी (रेन गेज) - इससे किसी विशेष स्थान पर हुई वर्षा की मात्रा नापी जाती हैं, 2 आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर) - इससे वायुमण्डल में व्याप्त आर्द्रता नापी जाती है, एनिमोमीटर - इससे वायु की शक्ति तथा गति को नापा जाता है, यानि यह सब एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) भौतिक आंकडों को इकठ्ठा करते हैं 

552
[2:52:52 PM]:computer:O level computer course🖥:
डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer)

डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आप आमतौर पर प्रयोग करते हैं अपने घरों में, कार्यालयों में, जिसमें डिजिटल तरीके से डाटा को फीड किया जाता है और आउटपुट प्राप्‍त किया जाता है अधिकतक डिजिटल कंप्‍यूटर ही प्रयोग में आते हैं और बाजारों में आमतौर पर उपलब्‍ध रहते हैं डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।

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[2:53:19 PM]:computer:O level computer course🖥:
हाइब्रिड कम्प्यूटर क्या है (What is Hybrid Computer)

हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) में एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) और डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) दोनों के ही गुण होते है। ये कंप्‍यूटर एनालाॅॅॅग और डिजिटल से अधिक भरोसेमंद माने जाते हैं इनका काम होता है एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) से प्राप्‍त आंकडों को डिज़िटल रूप में उपलब्‍ध कराना, चिकित्‍सा, मौसम विज्ञान में इनका सबसे ज्‍यादा प्रयोग होता है 

549
[2:54:32 PM]:computer:O level computer course🖥:
आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size) Computer Ke Prakar

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[2:56:09 PM]:computer:O level computer course🖥:
कंप्यूटर का अविष्कार जब से हुआ है उसके आकार और कार्य क्षमता में बदलाव  होते रहें हैं, कंप्‍यूटर को आकार के आधार पर चार श्रेणीयों में बांटा गया है सुपर कंप्‍यूटर, मेनफ्रेम कंप्‍यूटर, मिनी कंप्‍यूटर एव माइक्रो कंप्‍यूटर तो आईये जानते हैं आकार के आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (classification of computer based on Size)

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[2:59:05 PM]:computer:O level computer course🖥:
1. माइक्रो कंप्यूटर ( MicroComputer)

माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आराम से डेस्‍क पर रखा जा सकता है, छोटे कंप्‍यूटरों का विकास 1970 में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ हुआ, माइक्रो प्रोसेसर आने से सस्ते और आकार में छोटे कंप्‍यूटर बनाना संंभव हुआ, इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) भी कहते है, माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट पीसी और वर्कस्टेशन आते हैं

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[3:00:02 PM]:computer:O level computer course🖥:
2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)

मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) अाकार और क्ष्‍ामता में माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) से बडे होते हैं, सबसे पहला मिनी कंप्यूटर 1965 में तैयार किया था, इसका आकार किसी रेफ्रिजरेटर के बराबर था, जहां एक ओर पर्सनल कंप्‍यूटर यानि माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में एक C.P.U. होता है वहीं मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है और मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है, इनका उपयोग प्रायः छोटी या मध्यम आकार की कम्पनियाँ करती हैं

575
[3:00:52 PM]:computer:O level computer course🖥:
3. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) 

मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) आकार में बहुत बडें होते हैं, बडी कंपनियों में केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) का प्रयोग होता है, एक नेटवर्क में कई कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है इसमें सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है, मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) में नोड डॉट जेएस (Node.js) एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जाता है

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[3:02:18 PM]:computer:O level computer course🖥:
4. सुपर कंप्यूटर (Super Computer) 

सुपर कंप्यूटर (Super Computer) अन्य सभी श्रेणियों माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer), मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) और मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) की तुलना में अत्‍यधिक बड़े, अधिक संग्रह क्षमता वाले और सबसे अधिक गति वाले होते हैं, इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है, सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, 1998 में भारत में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था "परम 10000", इसकी गणना क्ष्‍ामता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम ह
[3:08:43 PM]:computer:
906
[3:13:56 PM]:computer:O level computer course🖥:
कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट 
जिस प्रकार समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, इसे कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट कहते हैं -


कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) की सबसे छोटी इकाई होती है बिट (bit) एक बिट बाइनरी संकेतअर्थात 0 और 1 में से केवल एक युग्म मूल्य (binary value) होता है और जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।


सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख MP3 को स्‍टोर किया जा सकता है।
1 बिट (bit) = 0, 1 

4 बिट (bit) =  1 निब्‍बल 

8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)

1000 बाइट्स (Byte) = एक किलोबाइट (KB)

1024 किलोबाइट (KB) = एक मेगाबाइट (MB)

1024 मेगाबाइट (MB) = एक गीगाबाइट (GB)

1024 गीगाबाइट (GB) = एक टेराबाइट (TB)

1024 टेराबाइट (TB) = एक पेंटाइट (PB)

1024 पेडाबाइट (PB) = एक एक्साबाइट (EB)

1024 एक्साबाइट (EB) = एक ज़ेटबाइट (ZB)

1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = एक ज़ेटबाइट (YB) 

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[5:39:07 PM]:computer:O level computer course🖥:
मैमोरी के प्रकार (Types of :m:emory :floppy_disk::minidisc:)
कंप्यूटर मेमोरी दो प्रकार की होती है - 
1 VOLATILE- इसे primary memoryके नाम से भी जाना जाता है, इसे मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, यह सीधे सीपीयू के सम्पर्क में रहती है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है, इसे परिवर्तनशील - (Volatile) मेमोरी इसलिये कहा जाता है क्योंकि यह मेमोरी डेटा को परमानेंटली स्टोर नहीं कर सकती है उदाहरण - रैम

2-NON-VOLATILE - इसे secondary memory के नाम से जाना जाता है इसका प्रयोग को ज्यादा मात्रा में डेटा को स्थायी रूप से स्टोर करने के किया जाता है इसलिये द्वितीय सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) को स्टोरेज बताया गया है ना कि मेमोरी उदाहरण - हार्डडिस्क

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Monday, February 24, 2020 ---

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9:46:09 AM]
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:computer:O level computer course🖥:
स्‍पेस के आधार पर कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) चार प्रकार की होती है - 
1-रजिस्टर मेमोरी-
रजिस्टर मेमोरी (Register Memory) को रजिस्‍टर भी कह सकते हैं, रजिस्टर मेमोरी कंप्यूटर में सबसे छोटी और सबसे तेज मेमोरी होती है, रजिस्टर मेमोरी का साइज 16, 32 और 64 Bit का होता है आप तो जानते हैं सीपीयू में कोई डेटा स्‍टोर नहीं होता है, रजिस्टर मेमोरी (Register Memory) आकार में बहुत छोटी लेकिन सीपीयू द्वारा बार-बार इस्तेमाल होने वाले डेटा निर्देश (Data instruction) और मेमोरी का पता को अपने अंदर अस्‍थाई रूप स्‍टोर लेती है

2-कैश मेमोरी

कैश मेमोरी (Cache Memory) चाहे फोन की हो या कंप्‍यूटर की हो कोई भी काम अत्‍यधिक तेजी से करती है, असल में कैश मेमोरी (Cache Memory) आकार में बहुत छोटी लेकिन कंप्‍यूटर की मुख्‍य मेमोरी से बहुत ज्‍यादा तेज होती है, इसे सीपीयू की मैमोरी भी कहा जाता है जिन प्रोग्राम और निर्देशों का बार-बार इस्‍तेमाल किया जाता है उनको कैश मेमोरी (Cache Memory) अपने अंदर सुरक्षित कर लेती है, प्रोसेसर कोई भी डाटा प्रोसेस करने से पहले कैश मेमोरी (Cache Memory) को चैक करता है और अगर वह फाइल उसे वहां नहीं मिलती है तो उसके बाद वह रैम यानि प्राइमरी मेमरी को चैक करता है तो इस प्रकार आपको कंप्‍यूटर और आपका फोन भी तेजी से काम करता है

2-प्राइमरी मेमोरी -प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) दो प्रकार की होती है - 1- Ram
2-Rom
1- रैम (Random Access Memory) 

-इस मेमोरी (Memory) को कंप्‍यूटर की अस्‍थाई मेमोरी भी कहते हैं इसमें कोई भी डाटा स्‍टोर नहीं रहता है जब तक कंप्‍यूटर ऑन रहता है तब तक रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संगृहीत रहता है और कंप्‍यूटर प्रोसेसर आवश्‍यक डाटा प्राप्‍त करने के लिये इस डेटा का उपयोग करता है और जैसे ही आप कम्‍यूटर शट डाउन करते हैं वैसे ही सारा डाटा डिलीट हो जाता है इस रैम को (Volatile Memory) भी करते हैं
रैम (RAM) कितने प्रकार की होती है 

रैम तीन प्रकार की होती है - 

डायनेमिक रैम (Dynamic RAM)

सिंक्रोनस रैम (Synchronous RAM)

स्‍टैटिक रैम (Static RAM)

1- डायनेमिक रैम (Dynamic RAM) 

इसे DRAM के नाम से जाना जाता है, डीरैम में डाटा मेमोरी सेल में स्‍टोर होता है, प्रत्‍येक मेमोरी सेल में एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर होता है, जिसमें थोडा थोडा डाटा स्‍टोर किया जाता है लेकिन लगभग 4 मिली सेकेण्‍ड बाद मेमोरी सेल नियंत्रक मेमोरी को रिफ्रेश करते रहते हैं रिफ्रेश करने का अर्थ है कि वह डाटा को रीराइट करते हैं, इसलिये DRAM काफी धीमी होती है, लेकिन यह अन्य मेमोरी के मुक़ाबले कम बिजली खाती है और लंबे समय तक खराब नहीं होती है

2- सिंक्रोनस रैम (Synchronous RAM)

सिंक्रोनस रैम DRAM से ज्‍यादा तेज होती है वजह है कि यह DRAM से ज्‍यादा तेजी से रिफ्रेश होती है, सिंक्रोनस रैम सीपीयू क्लॉक स्पीड के साथ रिफ्रेश होती है, इसलिये ज्‍यादा तेजी से डाटा स्थानांतरित कर पाती है

3- स्‍टैटिक रैम (Static RAM)

इसे SRAM के नाम से जाना जाता है, Static RAM कम रिफ्रेश होती हैं लेकिन यह डाटा को मेमोरी में अधिक समय तक रख पाती है, यह डाटा को तब तक स्‍‍टोर रखती है जब तक सिस्‍टम को करंट मिलता रहता है यह बहुत तेजी से डाटा को Access करती है  स्‍टैटिक रैम (Static RAM) को जब तक रिफ्रेश नहींं तब तक डाटा स्‍टाेर रहता है इसे कैश रैम (Cache Ram) भी कहते हैं
2- रोम (ROM) यानि Read Only Memory

यह एक अस्‍थाई मेमोरी है रोम का पूरा नाम रीड ऑनली मेमोरी होता है, इसको तैयार करते समय जो डेटा या प्रोग्राम डाले जाते हैं वो खत्म नहीं होते हैं कंप्यूटर का स्विच ऑफ होने के बाद भी रोम में संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता हैं इसे Non-volatile Memory भी कहते हैं 

रोम (ROM) कितने प्रकार की होती है 

रोम (ROM) तीन प्रकार की होती हैं -

PROM (Programmable Read Only Memory)

EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

EEPROM (Electrical Programmable Read Only Memory)

1- PROM (Programmable Read Only Memory)

PROM यानि प्रोग्राममेबल रीड ऑनली मेमोरी को केवल एक बार ही डाटा स्‍‍‍टोर किया जा सकता है यानि इसे मिटाया नहीं जा सकता है और ना ही बदला जा सकता है

2- EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है यह प्रोम (PROM) की तरह ही होता है लेकिन इसमें संग्रहित प्रोग्राम (Store Program) को पराबैगनी किरणों (Ultraviolet rays) के द्वारा ही मिटाया जा सकता है और नए प्रोग्राम संग्रहित (Store) किये जा सकते हैं

3- EEPROM (Electrical Programmable Read Only Memory)

EEPROM का पूरा नाम Electrical Programmable Read Only Memory होता हैं, एक नई तकनीक इ-इप्रोम (EEPROM) भी है जिसमे मेमोरी से प्रोग्राम को विधुतीय विधि से मि

Software
सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software । Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।
सॉफ्टवेयर के प्रकार कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं। 

सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software)

सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)

सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो आपके कंप्‍यूटर के हार्डवेयर को Manage और Control करते हैं और इन्‍हीं की वजह से एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) कंप्‍यूटर में चल पाते हैं या आप उस पर काम कर पाते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) का सबसे सरल उदाहरण के आपका ऑपरेटिंग सिस्‍टम यानी आपकी विंडोज जो भी आप इस्‍तेमाल कर रहे होगें, संक्षेप में सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का एक समूह है, सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) के और भी कई उदाहरण हैं - operating system, compiler,assambler,interpreter

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[5:51:08 PM]:computer:O level computer course🖥:
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारे कंप्यूटर पर आधारित मुख्य कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं । आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।  एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) के कई उदाहरण हैं - Photoshop, Excel, PowerPoint, MS word, tally etc

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5:52:07 PM]
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:computer:O level computer course🖥:
यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) का काम कंप्‍यूटर के os की सर्विस/ रिपेयर करने का काम होता है साथ में यह os केे माध्‍‍यम से यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) कुछ हार्डवेयर की सर्विस करने का काम भी करते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता और गति को बढाया जा सके, इसमें से बहुत कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) ऑपरेंटिंग सिस्‍टम के साथ आते है और कुछ को अलग से लेना पडता है

एंटीवायरस

डिस्क डिफ्रेगमेंटर

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